मैं दिखा ना पाई उन्हें अपनी रचनाओं को, ना बांट पाई उनके साथ अपने अनुभवों को, मैं दिखा ना पाई उन्हें अपनी रचनाओं को, ना बांट पाई उनके साथ अपने अनुभवों को,
इक वादे पे जान दिया करते थे, ऐसे भी लोग हुआ करते थे। इक वादे पे जान दिया करते थे, ऐसे भी लोग हुआ करते थे।
उद्वेग छोड़ कुछ इन पर चल कर देखो ना उद्वेग छोड़ कुछ इन पर चल कर देखो ना
निज कामों में ही उलझे रहते, तो हम सब हैं बेहद ही व्यस्त । निज कामों में ही उलझे रहते, तो हम सब हैं बेहद ही व्यस्त ।
अब गिले शिकवे भी करके क्या करना है जब ठोकरें दोहरा दें कि साथ नहीं चलना है, अब गिले शिकवे भी करके क्या करना है जब ठोकरें दोहरा दें कि साथ नहीं चलना है,